Mud House in J&K : ख़ूबसूरत वादियों के बीच मड हाउस के ये कांसेप्ट लोगों को आ रहा पसंद !

J&K Tourism : कश्मीर में सदियों पुरानी संस्कृति और सभ्यता को सामने लाने और उसे बढ़ावा देने वाले, कश्मीर के एक नौजवान ने लोगों का दिल जीत लिया है. गांदरबल जिले से ताल्लुक रखने वाले, रमीज़ अहमद ने एक नई पहल की है. दरअसल, रमीज़ ने घाटी के टूर पर आने वाले टूरिस्ट्स के लिए मिट्टी के कॉटेज तैयार किए हैं.

Mud House in J&K : ख़ूबसूरत वादियों के बीच मड हाउस के ये कांसेप्ट लोगों को आ रहा पसंद !
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Jammu and Kashmir : मड हाउस का कांसेप्ट अब सैलानियों की पसंद बनता जा रहा है. अगर आप भी होटल, रिसोर्ट और होम स्टे में रहने का अनुभव ले चुके हैं. तो एक बार मड हाउस में रुक कर अपने पल को ख़ास बना सकते हैं. जम्मू कश्मीर की संस्कृति को रू-ब-रू कराने के साथ ही पहाड़ का शुद्ध वातावरण और वादियों में रुकने का मौका दिया जा रहा है. 

कश्मीर में सदियों पुरानी संस्कृति और सभ्यता को सामने लाने और उसे बढ़ावा देने वाले, कश्मीर के एक नौजवान ने लोगों का दिल जीत लिया है. गांदरबल जिले से ताल्लुक रखने वाले, रमीज़ अहमद ने एक नई पहल की है. दरअसल, रमीज़ ने घाटी के टूर पर आने वाले टूरिस्ट्स के लिए मिट्टी के कॉटेज तैयार किए हैं. 

ये कॉटेज बाहर से मिट्टी के हैं, लेकिन अंदर से बिल्कुल रेस्त्रां वाली सुविधाओं से लब्रेज़ हैं. इन कॉटेजेज़ में पुराने ज़माने में इस्तेमाल होने वाली तरह-तरह की चीज़ों को रखा गया है. इसी सिलसिले में रमीज़ का कहना है कि वे हमेशा से, कुछ ऐसा ही काम करना चाहते थे, जो उनको कारोबार के साथ-साथ, कश्मीर की संस्कृति और सभ्यता से जोड़ कर रख सके. यही वजह है कि रमीज़ ने ये कारोबार शुरू किया है. 

रमीज़ कहते हैं कि घाटी में रोजगार एक मूलभूत समस्या है. पढ़ाई के बाद, एक औसत नौजवान नौकरी तलाश में जुट जाता है. सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करता है. इस सब में काफी वक्त लगता है. जिसमें, 5 से 10 साल गुज़र जाते हैं. और उसकी कोई गारंटी भी नहीं है कि सरकारी नौकरी मिलेगी या नहीं. ऐसे में मैंने अपना वैंचर और अपना काम शुरू करने पर विचार किया. क्योंकि सरकार भी इन चीज़ों के लिए, मदद करती है. 

होटल के इस आइडिया पर बात करते हुए, रमीज़ अहमद बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर एक टूरिज्म हब है. इसी आधार पर मैंने होटल या रेस्त्रां तैयार करने का प्लान किया. लेकिन हमें ये थोड़ा नए तरीके से करना था. यही वजह है, हमने मड हाउस के कांस्पेट को अपनाने का फैसला किया. 

कश्मीर की संस्कृति और सभ्यता को लोगों तक पहुंचाने के लिए ये कॉटेज टूरिस्ट्स के बीच काफी पसंद किया जा रहा है. लोग जगह-जगह से आकर, इन कॉटेज़ेस में ठहरते हैं और कश्मीरी संस्कृति और सभ्यता से रूबरू होते हैं.  

रमीज़ अहमद की इस पहल पर यहां आने वाले टूरिस्ट्स का कहना है कि ये मड हाउस में रहना और ठहरना एक शानदार अनुभव है. इसके अलावा, कई स्थानीय लोगों और टूरिस्ट्स का कहना है, प्रशासन को ऐसे नए बिज़नेस आइडिया को सपोर्ट कर, लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए. ताकि कश्मीर के नौजवान, तरक्की की नई राह पर चल सकें. 

वहीं, इस कॉटेज में ठहरे एक टूरिस्ट ने बताया कि ये अपने आप में एक अनोखा अनुभव है. उन्होंने ऐसे केवल अपने बुजुर्गों से सुना था कि पुराने वक्त में ऐसे ही घर हुआ करते थे. उनका कहना है कि घाटी के नौजवानों को इसी तरह के आइडिया पर काम करना चाहिए, जो कश्मीरी संस्कृति और सभ्यता को बढ़ावा देते हुए आर्थिक विकास करें. इसके लिए, सरकार घाटी के नौजवानों की मदद करे...

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